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Showing posts from July, 2011

Finally a Century for Sachin at LORDS...!!!

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I don't want to comment anything on the 1st test between India-England in which we lost the game. But everyone was eying for a century from Sachin Tendulkar(GOD of Cricket) at the historic venue of LORDS and after the match all of us were sad for two reason's... 1) India Lost 2) Sachin didn't get his century However, that's what I call an optimistic thinking...Infact I'll say that Sachin got his century...have a look at it... Cheers...\m/... Have fun...cya... :)

दिल और दिमाग...!!!

ज़िन्दगी में हर पल इक नया दौर लेके आता है, फिर भी इस तिराहे पे खड़ा मन हमेशा मुझे क्यूँ मचलाता है। क्या यह दिल और दिमाग को एक करने की ज़द्दोज़ेहेत है, जो कभी भी एक राह पर चलने को तैयार न हुए हैं। ज़िन्दगी के इस तिराहे पे कभी दिल ने दिमाग को धोखा देना चाहा, तो कभी दिमाग ने दिल को धोखा देना चाहा। और इस दिलो-दिमाग की आपसी कलह में फैसला हमेशा मुझे ही करना पड़ा, कि कहीं आगे चलके कोई बड़ा रोड़ा न आ के हो जाए खड़ा। राह तो तीन ही थी हमेशा, एक पे दिल, दुसरे पे दिमाग और तीसरा वो बंद हो चुका रास्ता जिसपर मैं था अभी अभी चला। हमेशा से ही दोनों अपनी अपनी दलीलें लेके अलग राहों पे खड़े थे, और मेरे कदम हमेशा से ही दोनों में से एक राह पड़ बढ़े थे। उस दिन जब पहली बार दिल और दिमाग एक दुसरे के साथ संधि करने को बढ़े थे, तब मेरे कदम बिलकुल अलग राह पे क्यूँ बढ़े थे? उनका लिया हुआ फैसला तो एकदम सही था, लेकिन फिर भी मैं उनको नज़रंदाज़ करके आगे क्यूँ बढ़ा था? PS: Always try to make yourself calm and quiet before taking any important decision in your life and listen to your heart and mind because ...

A nice one...!!!

A nice shayari from the movie "Hum aapke hain kaun" for all shayerana and romantic people..... काटे नहीं कटते लम्हे इंतज़ार के, नज़रें बिछाएं बैठे हैं रस्ते पे यार के , दिल ने कहा देखे जो जलवे हुस्ने यार के , लाया है उन्हें कौन फलक से उतार के । enjoy...tc...cya...

मन...!!!

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ऐ मन तू इतना क्यूँ है बावला, मेरे इतना समझाने पर भी तू क्यूँ न संभला। जब मालूम था की इस रस्ते पे खानी ही है ठोकर, तो फिर बुलाने पर भी तू क्यूँ ना आया वापस मुड़कर। हमेशा तेरा कहा माना था मैंने, और आज उस विश्वास के जवाब में धोखा दे दिया तूने। ज़िन्दगी के हर पल को आज़ाद पंछी सा जीने दिया तुझे मैंने, आज उस आजादी का नाजायज़ फायेदा ही उठा लिया तूने। कितनी बार समझाने की कोशिश की थी मैंने तुझे, हर बार नज़र-अंदाज़ कर आगे बढ़ गया था तू मुझे। क्या समझाने में कोई कमी रह गई थी मेरे, जो ठोकार खाकर भी कदम संभल न पाए तेरे। ---------------------------------------------- PS: कब समझेगा तू मेरे आवारा चंचल मन। कैसे मेरे वश में आएगा तू मेरे आवारा चंचल मन। cya...

One more...!!!

Time moves on so quickly, that we sometimes couldn't even realize that it just went past us. Same was for the last 3 years, they went past us like they were nothing and now we are into the final year of our graduation. We chose subjects and projects according to our own choice and now no more batch system(the batch with which last 3 years were passed doing all the stupid acts, making everyone laugh and sharing the problems, is all over)... Lets see, where we'll go after this last year. Hoping to be in contact with everyone during this last year and especially after that, when almost everyone of us would have decided our future...and where we would all end up in this huge competitive world... cya...