Just a talk with a dream.......:O

देखा था एक अजीब सा ख्वाब आज मैंने , ख्वाब में ही हुई थी ख्वाब से एक प्यारी सी गुफ्तगू मेरी | ख्वाब से पूछा की क्यूँ दिखाता है तू रंग इतने , बोला की मेरे नही, हैं ये तुम्हारे ही कर्मों के रंग । कभी तुम्हारे ही गलत कर्मों के फल स्वरुप स्वप्न दिखाता हूँ तुम्हे, और कभी तुम्हारी ही अधूरी इच्छाओं को पूरा करने के मार्ग से अवगत करता हूँ । मैंने पूछा कैसे ? तो बोला जैसे कर्म तुम करते हो उसी को मैं तुम्हारे ख़्वाबों में लाता हूँ , अच्छे कर्म करोगे तो मीठे मीठे ख्वाब दिखता हूँ तुमको , वरना बुरे कर्मों के लिए बुरे स्वप्न ही दिखता हूँ तुम्हे । मैं तो सिर्फ तुम्हारे अधूरे स्वप्न दिखता हूँ तुम्हे , जिसे तुम भूल चुके थे कभी, यान जिससे तुम हार मान कर अधूरा ही छोड़ने वाले थे कभी । हार न मान जाओ कभी तुम किसी से, भूल न जाओ अपनी इच्छाओं को विचलित होकर कभी, इसी बात के डर से छोड़ता नहीं हूँ तुम्हे अकेला कभी, तेरे हर काम का वाकया सुना देता हूँ तुझे मैं, लेकिन ठोकर खाए बिना तुने कभी भी नही सीखा चलना सही राह पे | ps: actually last night i was just sitting in my friends room discussing some of such philosophical stuff and searching them on net..........and somehow i saw such dream dreaming of my conversation with dream........:P seems a fully faltu post by me............but just expressed what i just dreamt.......lolzzzz ps: Actually dats why its said........."The World is around you is always what you make it........"

Comments

  1. Sarabjeet, that's is too good.A hard hitting fact packed in nicely worded poetry. Well done and keep it up.

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  2. completely agreed with the comment above.. this is something very much felt by almost all of us..

    bt u expressed very beautifully in the form of a conversation.. :-)
    good job

    PS: your hindi gyan scared..since when it is so :O

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  3. @balvinder singh......thanks...

    @deep.....thanks...BTW about the hindi gyan u mentioned....when i read it today....it scared me equally as u were.....;)

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